Мы используем cookie-файлы, чтобы улучшить сервисы для вас. Если ваш возраст менее 13 лет, настроить cookie-файлы должен ваш законный представитель. Больше информации
पहले मैं होशियार था,इसलिए दुनिया बदलने चला था,
आज मैं समझदार हूँ,इसलिए खुद को बदल रहा हूँ।
बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है..
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ।
ऐसा नहीं है क...